Tuesday, July 6, 2010

कोई अपनी ही नज़र से तो हमे देखेगा

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाये कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आये कैसे

घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो की इस घर को बचाएं कैसे

कहकहा आँख का बर्ताव बदल देता है
हसने वाले तुझे आंसू नज़र आए कैसे

कोई अपनी ही नज़र से तो हमे देखेगा
एक कतरे को नज़र आए कैसे

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